भोपाल/ सुशील त्रिपाठी // सरकारी आवास आवंटन में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद अब कमलनाथ सरकार भोपाल में शासकीय आवास में रहने वालों का सत्यापन कराएगी । पहली बार जी से लेकर एच श्रेणी तक के आवासों का सर्वे होगा । इसमें जिस अधिकारी-कर्मचारी के नाम से आवास आवंटित है, उसमें वो रह रहा है या नहीं, यह देखा जाएगा। साथ ही खाली मकानों की स्थिति को लेकर भी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। बताया जा रहा है कि गृह विभाग को यह शिकायतें मिली हैं कि कई अधिकारी आवास लेने के बाद भी उनमें नहीं रह रहे हैं और कुछ ने किराए पर दे रखे हैं । विभाग ने सर्वे के लिए जिला प्रशासन से बीस टीमें मांगी हैं । सूत्रों का कहना है कि गृह विभाग ने करीब डेढ़ साल पहले ई और एफ टाइप मकानों में रहने वालों का सर्वे कराया गया था । इसमें जिसके नाम पर आवास आवंटित है और वो कब से रह रहे हैं, इसकी जानकारी जुटाई गई थी। इसमें यह बात भी सामने आई कि कईयों ने बरसों से तय किराया ही अदा नहीं किया है । इसके बाद गृह विभाग ने वसूली के नोटिस जारी किए और कुछ लोगों के खिलाफ बेदखली की कार्रवाई भी की । इसी बीच पुलिसकर्मियों सहित कुछ अन्य कर्मचारियों को पारी बाहर (क्रम से हटकर) आवास देने के मामले में मुख्यमंत्री के नाम की फर्जी नोटशीट का मामला सामने आया। जांच में गड़बड़ी प्रमाणित मिली तो लगभग 28 आवंटन आदेश निरस्त कर आवास खाली कराने के साथ फर्जीवाड़े की जांच जहांगीराबाद थाने को सौंपी गई है । मुख्यमंत्री ने सरकारी मकानों की कमी देखते हुए वर्ष 2003 से 2018 के बीच अशासकीय व्यक्तियों को दिए गए आवासों की समीक्षा करने कैबिनेट की सब-कमेटी बनाई थी, लेकिन चार माह बीतने के बाद भी एक भी बैठक नहीं हुई। जबकि, एक माह में समिति को प्रतिवेदन सौंपना था। समिति में मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, बाला बच्चन, उमंग सिंघार, जयवर्धन सिंह और तरुण भनोत सदस्य हैं । सूत्रों का कहना है कि दो बार बैठक बुलाने की तैयारी भी हुई, लेकिन विभिन्न् कारणों से यह नहीं हो सकी। समिति को आवास आवंटन में नियमों का पालन हुआ या नहीं, यह देखना है । इसके साथ ही भविष्य में अशासकीय व्यक्तियों को आवास देने के मापदंड तय करने के साथ अन्य मुद्दों पर अपनी राय देनी है । समिति सदस्य गृहमंत्री बाला बच्चन जरूर विभागीय अधिकारियों से अशासकीय व्यक्तियों को दिए आवासों का फीडबैक ले चुके हैं
सरकार शासकीय आवास में रहने वालों का सत्यापन कराएगी